भारतीय सेना दिवस 2024: इतिहास, थीम, महत्व और के. एम. करियप्पा की संक्षिप्त जीवनी

भारतीय सेना दिवस 2024, हर साल की भांति इस साल भी 15 जनवरी को मनाया जाएगा। इस साल पूरा देश 76वें भारतीय सेना दिवस को मनाने के लिए तैयार है। यह दिन भारत के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि यह दिन भारतीय सेना के शौर्य और बलिदान को याद करने का दिन है।

यह दिन भारत के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना की याद दिलाता है। 15 जनवरी, 1949 को, स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय सेना प्रमुख के. एम. करियप्पा ने ब्रिटिश सेना प्रमुख जनरल सर फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना की कमान संभाली थी।

भारतीय सेना दिवस के दिन देश भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें सेना की परेड, सैन्य प्रदर्शनियां और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं। इन कार्यक्रमों में देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल होते हैं।

इस ब्लॉग के माध्यम से हम भारतीय सेना दिवस के इतिहास, महत्व और भारतीय सेना दिवस 2024 की थीम पर चर्चा करेंगे। साथ ही, हम भारतीय सेना के इतिहास में कुछ वीरतापूर्ण कारनामों का भी उल्लेख करेंगे।

भारतीय सेना दिवस 2024

लखनऊ में 76वें सेना दिवस समारोह

इस वर्ष, भारतीय सेना दिवस 2024 का आयोजन लखनऊ में किया जाएगा। यह दूसरी बार होगा जब सेना दिवस समारोह दिल्ली से बाहर आयोजित किया जाएगा।

लखनऊ में होने वाले भारतीय सेना दिवस 2024 समारोह की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। समारोह का मुख्य आकर्षण परेड होगी। परेड में भारतीय सेना की विभिन्न शाखाओं के जवान भाग लेंगे। परेड में विभिन्न प्रकार के हथियारों और उपकरणों का प्रदर्शन भी किया जाएगा। इनमें टैंक, तोपें, रॉकेट लॉन्चर, और युद्धक विमान शामिल हैं।

समारोह में एक प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी। प्रदर्शनी में भारतीय सेना की विभिन्न शाखाओं के बारे में जानकारी दी जाएगी। प्रदर्शनी में विभिन्न प्रकार के हथियारों, उपकरणों, और वाहनों का प्रदर्शन भी किया जाएगा।

समारोह में सैन्य बैंड प्रदर्शन भी होगा। सैन्य बैंड प्रदर्शन में विभिन्न प्रकार के भारतीय संगीत की प्रस्तुति दी जाएगी।

लखनऊ में होने वाले 76वें भारतीय सेना दिवस 2024 समारोह का आयोजन 15 जनवरी, 2024 को सूर्या खेल परिसर-I में किया जाएगा। समारोह में आम जनता के लिए निःशुल्क प्रवेश होगा।

भारतीय सेना दिवस का इतिहास

1757 में प्लासी के युद्ध के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए एक सेना का निर्माण किया। इस सेना में भारतीय और ब्रिटिश दोनों सैनिक शामिल थे।

1857 के सिपाही विद्रोह के बाद, ब्रिटिश सरकार ने इस सेना का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया और इसे ब्रिटिश सेना का एक हिस्सा बना दिया गया।

आधिकारिक तौर पर भारतीय सेना का गठन 1895 में किया गया और जब भारत स्वतंत्र हुआ तो एक बहुत बड़ा मोड़ आया। 15 जनवरी 1949 लेफ्टिनेंट जनरल के. एम. करियप्पा ने ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ जनरल सर फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना की कमान संभाली। इस घटना को चिह्नित करने के लिए, 15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस के रूप में घोषित किया गया।

यह ना सिर्फ भारतीय सेना के नेतृत्व में बदलाव था बल्कि हम आश्वस्त थे कि अपने मजबूत सैनिकों के साथ अपनी सीमाओं की रक्षा करने के लिए हमारी सेना एकदम तैयार है। अब भारत के पास एक स्वतंत्र और मजबूत सेना थी।

जब जनरल के. एम. करियप्पा ने कमान संभाली तो यह भारत के इतिहास का एक गौरव वाला क्षण था। इससे हम भारतीयों को गर्व महसूस हुआ और यकीन हुआ कि भारत दूसरे देशों पर निर्भर हुए बिना खुद को सुरक्षित रख सकता है। जब उन्होंने पदभार संभाला तो यह विशेष दिन भारतीय सेना दिवस की नींव बन गया। यह हर साल एक ऐसा दिन है जब हम अपने सशस्त्र बलों के सम्मान में जश्न मनाते हैं और बताते हैं कि कैसे वे हमारी सीमाओं की रक्षा के लिए हमेशा मजबूती से खड़े रहते हैं।

भारतीय सेना दिवस का महत्व

भारतीय सेना दिवस हर साल 15 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिन भारतीय सेना के शौर्य और बलिदान को याद करने का दिन है। यह दिन भारत के सभी नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि यह उन्हें अपने देश की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार लोगों को सम्मान करने का अवसर देता है।

भारतीय सेना दिवस का महत्व निम्नलिखित है:

  • यह दिन भारतीय सेना के शौर्य और बलिदान को याद करने का अवसर प्रदान करता है। भारतीय सेना ने देश की रक्षा के लिए कई युद्ध लड़े हैं और कई वीर जवान इस लड़ाई में शहीद हुए हैं। भारतीय सेना दिवस इन वीर जवानों को श्रद्धांजलि देने का दिन है।
  • यह दिन भारतीय सेना की उपलब्धियों का जश्न मनाने का अवसर प्रदान करता है। भारतीय सेना ने कई चुनौतियों का सामना किया है, लेकिन उसने हमेशा देश की रक्षा करने में सफलता प्राप्त की है। भारतीय सेना दिवस भारतीय सेना की उपलब्धियों को याद करने और उसकी ताकत और दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित करने का दिन है।
  • यह दिन भारतीय नागरिकों को अपनी सेना के लिए सम्मान और आभार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है। भारतीय सेना देश की सुरक्षा के लिए एक आवश्यक अंग है। भारतीय सेना दिवस भारतीय नागरिकों को अपनी सेना के लिए सम्मान और आभार व्यक्त करने का अवसर देता है।

भारतीय सेना दिवस भारत के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन भारतीय सेना के शौर्य और बलिदान को याद करने, उसकी उपलब्धियों का जश्न मनाने और भारतीय नागरिकों को अपनी सेना के लिए सम्मान और आभार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।

भारतीय सेना दिवस 2024 थीम

हर साल 15 जनवरी को मनाया जाने वाला भारतीय सेना दिवस 2024, राष्ट्र की रक्षा के लिए समर्पित वीर सैनिकों के शौर्य और बलिदान को याद करने का अवसर है।

इस वर्ष, 2024 की थीम “In Service of the Nation” यानि “राष्ट्र की सेवा में” है जो हमारे सामने एक स्पष्ट संदेश रखती है – भारत की सेना सिर्फ रणनीतिक ताकत या हथियारों का जमघट नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र की आत्मा की रक्षक है।

“In Service of the Nation” का संदेश सिर्फ भारतीय सेना तक सीमित नहीं है, यह हर नागरिक के लिए प्रेरणा का स्रोत है। हम सभी अपने-अपने क्षेत्रों में राष्ट्र की सेवा कर सकते हैं। शिक्षक, किसान, डॉक्टर, इंजीनियर, हर कोई अपने कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण से राष्ट्र को मजबूत बनाने में योगदान दे सकता है।

आइए, इस साल भारतीय सेना दिवस पर, न सिर्फ सेना के वीरों का सम्मान करें, बल्कि खुद को भी राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित करें।

भारतीय सेना का बहुआयामी योगदान

भारतीय सेना देश की सुरक्षा के लिए एक अनिवार्य अंग है। यह देश की सीमाओं की रक्षा करती है, प्राकृतिक आपदाओं में राहत और बचाव कार्य करती है, और राष्ट्र निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारतीय सेना का योगदान बहुआयामी है। जैसे-

सीमाओं की रक्षा: भारतीय सेना देश की सीमाओं की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह हिमालय की बर्फीली चोटियों से लेकर रेगिस्तान की धूप तक, देश के हर कोने की रक्षा करती है। भारतीय सेना के जवान, चाहे वे किसी भी पर्यावरण में हों, हमेशा देश की रक्षा के लिए तैयार रहते हैं। 2001 में गुजरात भूकंप, 2004 में हिंद महासागर सुनामी, 2013 में उत्तराखंड बाढ़ के दौरान भारतीय सेना ने राहत और बचाव कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

आपदा प्रबंधन: जब प्राकृतिक आपदाएं आती हैं, तो भारतीय सेना सबसे पहले राहत और बचाव कार्यों में जुट जाती है। चाहे वह बाढ़ हो, भूकंप हो, या सुनामी हो, भारतीय सेना हजारों लोगों के जीवन बचाती है। भारतीय सेना के जवान, अपनी अदम्य साहस और कुशलता से, लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाते हैं और उन्हें आवश्यक भोजन, पानी, और चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करते हैं।

सामाजिक विकास: भारतीय सेना राष्ट्र निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। दूरदराज के क्षेत्रों में स्कूलों और अस्पतालों का निर्माण, पुलों और सड़कों का निर्माण, और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों में सहायता – ये सभी राष्ट्र की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। भारतीय सेना के जवान, अपने कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण से, समाज के सभी वर्गों के लोगों की मदद करते हैं।

भारतीय सेना का योगदान बहुआयामी है और यह देश की प्रगति और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारतीय सेना के जवान, अपने साहस, बलिदान, और समर्पण से, देश के लिए एक प्रेरणा हैं।

फील्ड मार्शल के. एम. करियप्पा की संक्षिप्त जीवनी और उनका योगदान

कोडंडेरा मडप्पा करियप्पा (28 जनवरी 1899 – 15 मई 1993) एक भारतीय सैन्य अधिकारी और राजनयिक थे। के. एम. करियप्पा भारतीय सेना के पहले भारतीय सेनाध्यक्ष (चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ) थे।

के. एम. करियप्पा का जन्म 28 जनवरी 1899 को कर्नाटक के कूर्ग प्रांत (वर्तमान में कोडगु जिला) के शनिवारसंथे में हुआ था।

1917 में मदिकेरी के सेंट्रल हाई स्कूल में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया। कॉलेज के दौरान उन्हें पता चला कि भारतीयों को सेना में भर्ती किया जा रहा है, और उन्हें भारत में प्रशिक्षित किया जाना है।

1918 में, के. एम. करियप्पा ने भारतीय सेना में शामिल होने के लिए आवेदन किया। उन्हें 16वीं बंगाल इन्फैंट्री में लेफ्टिनेंट के रूप में नियुक्त किया गया। वह 1922 में मेजर बने, 1930 में लेफ्टिनेंट कर्नल, 1935 में कर्नल, 1942 में ब्रिगेडियर, 1944 में मेजर जनरल, और 1947 में लेफ्टिनेंट जनरल बने।

के. एम. करियप्पा ने 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पश्चिमी मोर्चे पर भारतीय सेना का नेतृत्व किया। इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को हराकर भारत की विजय सुनिश्चित की। के. एम. करियप्पा की कमान और नेतृत्व के कारण भारतीय सेना को इस युद्ध में जीत मिली।

1953 में, के. एम. करियप्पा को भारतीय सेना का पहला भारतीय सेनाध्यक्ष नियुक्त किया गया। वह इस पद पर 1955 तक रहे। के. एम. करियप्पा ने भारतीय सेना को एक आधुनिक और कुशल सेना में बदलने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने भारतीय सेना में भारतीयकरण की प्रक्रिया को भी तेज किया।

फील्ड मार्शल करियापा ने भारतीय सेना के विकास और आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने निम्नलिखित क्षेत्रों में विशेष योगदान दिया:

  • सेना का संगठन और प्रशिक्षण: के. एम. करियप्पा ने भारतीय सेना के संगठन और प्रशिक्षण में सुधार किया। उन्होंने सेना में एक नई अनुशासनात्मक प्रणाली स्थापित की और सैनिकों को बेहतर प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए नए स्कूल और प्रशिक्षण केंद्र खोले।
  • सेना का उपकरण: के. एम. करियप्पा ने भारतीय सेना के उपकरणों को आधुनिक बनाने के लिए काम किया। उन्होंने सेना के लिए नए हथियार, उपकरण, और वाहन खरीदे।
  • सैन्य रणनीति और रणनीति: के. एम. करियप्पा ने भारतीय सेना की सैन्य रणनीति और रणनीति को विकसित करने में मदद की। उन्होंने सेना को युद्ध में सफल होने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्रदान किया।

के. एम. करियप्पा के योगदान के कारण भारतीय सेना एक आधुनिक और कुशल सेना बन गई। उन्होंने भारत की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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