Pay Fixation शब्द से ही स्पष्ट है कि इसके द्वारा किसी सरकारी कर्मचारी का वेतन कितना मिलेगा, यह तय किया जाता है।
अब आप यह सोच रहे होंगे कि जब पहले से ही notification में किसी पद की सैलरी तय रहती है तो Pay Fixation की क्या जरूरत है।
तो इसी प्रश्न का उत्तर इस लेख में दिया गया है कि Pay Fixation क्या है और किसी सरकारी कर्मचारी के लिए इसकी क्या जरूरत है।
इस लेख में हमनें यह भी बताया है कि किन- किन परिस्थितियों में Pay Fixation की जरूरत पड़ती है।
Pay Fixation क्या होता है?
जब किसी सरकारी नौकरी के लिए notification प्रकाशित होता है तो अक्सर उसमें पद के अनुसार Pay Level और Basic Pay दिया गया रहता है।
यह लगभग सभी notifications में होता है।
जब कोई व्यक्ति किसी सरकारी ऑफिस में पहली बार Join करता है तो उसी notification के आधार पर एक Pay Fixation statement बनाया जाता है।
अब इस Pay Fixation statement को उस ऑफिस का Head of office जो कि एक Gazetted officer होता है वह इस statement पर signature करता है।
यानि वह अधिकारी इस Pay Fixation statement को आधिकारिक करने के लिए अधिकृत होता है।
इसके बाद इसे उस ऑफिस में भेजा जाता है जहाँ पर संबंधित ऑफिस के कर्मचारियों के Pay related काम होते हैं।
जैसे PAO (Pay and Accounts Office) जहाँ पर GST या Income Tax Department में काम करने वाले कर्मचारियों के Pay related काम होते हैं।
इसी ऑफिस में इन कर्मचारियों कि सैलरी से संबंधित भी काम किए जाते हैं।
दूसरा उदाहरण CGDA (Controller General of Defence Accounts) का है जहाँ Defence office में काम करने वाले कर्मचारियों के Pay related काम किए जाते हैं।
जब ये ऑफिस उस Pay Fixation statement की जांच करके verify कर देते हैं तब उस कर्मचारी का Pay Fixation का काम पूरा हो जाता है।
इस तरह Pay Fixation से मतलब है किसी सरकारी कर्मचारी की सैलरी को निश्चित करना।
Pay Fixation क्यों जरूरी होता है?
यह भी बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है कि आखिर Pay Fixation की जरूरत क्यों पड़ती है जबकि उस कर्मचारी का Basic Pay पहले से ही तय है।
तो इसका सीधा सा उत्तर है कि किसी सरकारी ऑफिस में किसी Pay related documents पर जब तक कोई Gazetted ऑफिसर अपना हस्ताक्षर ना कर दे तब तक उसे आधिकारिक नहीं माना जाता है।
केवल Pay related documents पर ही नहीं बल्कि अन्य documents पर भी उस Gazetted ऑफिसर के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं।
तब जा के वे documents आधिकारिक रूप से सही माने जाते हैं।
वह Gazetted ऑफिसर केंद्र सरकार के द्वारा अधिकृत (authorized) होता है। इनका नाम Gazette of India में छपा होता है।
इसी लिए जब एक सरकारी कर्मचारी की सैलरी तय करनी होती है तो Pay Fixation पर उस Gazetted officer के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं।
Pay Fixation होने के बाद ही उस सरकारी कर्मचारी को उक्त ऑफिस द्वारा सैलरी दी जाती है।
इसलिए किसी सरकारी कर्मचारी को सैलरी देने के लिए Pay Fixation करना जरूरी होता है।
Pay Fixation किन-किन परिस्थितियों में होता है?
कई ऐसी परिस्थितियाँ होती हैं जिनके कारण Pay Fixation करना पड़ता है।
लेकिन हम यहाँ कुछ महत्वपूर्ण परिस्थितियों के बारे में ही चर्चा करेंगे जो अक्सर सभी सरकारी ऑफिस में उपस्थित होती हैं।
Joining के समय:
जब कोई व्यक्ति पहली बार सरकारी ऑफिस join करता है तो संबंधित Department की तरफ से जो Notification प्रकाशित हुआ रहता है उसी के अनुसार उस कर्मचारी का Basic Pay Fix किया जाता है।
किसी सरकारी पद के लिए Net Salary कैसे Calculate करते हैं, इसपर हमनें एक अलग लेख में चर्चा की है।
उदाहरण के तौर पर CGL परीक्षा के notification में आपने देखा होगा कि Details of Post में सभी पदों के लिए Pay Level और Basic Pay दिया गया रहता है।
जैसे Assistant Audit Officer और Assistant Accounts Officer के पद Pay Level 8 में आते हैं।
इनका Basic Pay Rs. 47600 से Rs.151100 तक रहता है। यानि कि इनका Basic Pay का fixation Rs. 47600 से Rs.151100 तक किया जाता है।
Promotion होने पर:
Promotion होने पर भी किसी सरकारी कर्मचारी का Basic Pay बदल जाता है।
मान लीजिए किसी कर्मचारी का Basic Pay, Pay Level 6 में आता है तो Promotion होने पर उसका Pay Level बढ़कर 7 हो जाएगा।
अब इस Pay Level यानि 7 के अनुसार उसका Basic Pay का fixation किया जाएगा।
MACP मिलने पर:
MACP का full form होता है – Modified Assured Career Progression Scheme. यह योजना उन कर्मचारियों के लिए लागू होती है, जिन्हें 10, 20 और 30 साल की सेवा में कोई promotion या upgradation नहीं मिलता है।
जैसा कि ज्ञात है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को कुछ निर्धारित वर्षों तक कार्य करने के बाद promotion दिया जाता है।
लेकिन कभी-कभी किसी कर्मचारी को समय पर promotion नहीं मिल पाता है।
ऐसी स्थिति में उस कर्मचारी को MACP किया जाता है और उसके Basic Pay को अगले Pay Level के अनुसार निर्धारित किया जाता है।
स्पष्ट है कि जब किसी कर्मचारी के Pay Level बदलने से उसका Basic Pay बदल जाता है तो Pay Fixation की जरूरत पड़ेगी।
इस तरह MACP मिलने पर भी Pay Fixation किया जाता है।
किसी कारण से increment रुक गया हो और उसे regularize करने पर:
सरकारी नौकरी में हर साल जनवरी या जुलाई महीने में increment मिलता है।
यह Increment उसी Pay Level में ही लगता है लेकिन Basic Pay एक cell आगे का मिलने लगता है।
लेकिन कभी-कभी यह increment किसी कारणवश रुक जाता है और कुछ सालों तक रुका रहता है।
Increment रुकने के कई कारण हो सकते हैं जैसे उस कर्मचारी ने कोई Departmental परीक्षा पास ना की हो।
या उस कर्मचारी के ऊपर Department की तरफ से कोई vigilance केस चल रहा हो।
ऐसी स्थिति में जब वह कर्मचारी उपरोक्त समस्याओं से मुक्त हो जाता है तो उसकी सैलरी regularize करनी पड़ती है।
इसके लिए फिर से उसके Basic Pay को fix करना पड़ता है।
Basic Pay fix करने के लिए Pay Fixation की जरूरत पड़ती है।
उपरोक्त बताई गई महत्वपूर्ण परिस्थितियों में तो Pay Fixation करना पड़ता ही है लेकिन कुछ ऐसे कारण भी होते हैं जिनकी वजह से Pay Fixation करना पड़ता है।
लेकिन ये कारण इतने महत्वपूर्ण नहीं होते इसलिए हम यहाँ इनका जिक्र नहीं कर रहे हैं।
निष्कर्ष:
Pay Fixation किसी भी Department के Accounts Section का बहुत ही महत्वपूर्ण काम होता है।
साल भर ऐसी कई स्थितियाँ होती हैं जब Pay Fixation की जरूरत पड़ती है।
इनमें सबसे महत्वपूर्ण स्थितियाँ हैं जब कोई पहली बार सरकारी ऑफिस में Join करता है, Promotion होने पर, MACP मिलने पर, Increment को continue करके सैलरी regularize करने पर आदि-आदि।
उपरोक्त लेख में हमनें इन्हीं महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की है।