New Pension Scheme Investment by Govt. employee: सरकारी कर्मचारियों द्वारा New Pension Scheme के अंतर्गत अनिवार्य रूप से NPS Investment करना पड़ता है।
New Pension Scheme के तहत दो तरह के खाते होते हैं – Tier-I और Tier-II. Tier-I खाते में NPS Investment अनिवार्य होता है, जबकि Tier-II में यह स्वैच्छिक होता है।
केंद्र सरकार ने अगस्त 2020 में एक और NPS Investment स्कीम पेश की थी, जो Tier-II में Investment से संबंधित है।
तो आईए जानते हैं कि एक सरकारी कर्मचारी द्वारा New Pension Scheme के अंतर्गत NPS Investment किस तरह से किया जाता है।
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2. NPS के तहत सरकारी कर्मचारियों के लिए 6 प्रमुख Tax Benefits
सरकारी कर्मचारी द्वारा किए जाने वाले New Pension Scheme Investment –
Tier-I में NPS Investment:
जैसा कि पहले ही हमनें बताया है कि सरकारी कर्मचारी को Tier-I में अनिवार्य रूप से NPS Investment करना ही पड़ता है।
Tier-I में दो तरह के NPS Investment होते हैं – एक सरकारी कर्मचारी द्वारा और दूसरा सरकार के द्वारा।
सरकारी कर्मचारी द्वारा किया गया NPS Investment उस कर्मचारी के Basic Pay और Dearness Allowance के योग के 10% होता है।
इस Investment के लिए कर्मचारी को अपनी तरफ से किसी भी तरह कोई process नहीं करना होता है।
यह संबंधित DDO की जिम्मेदारी होती है कि वह उस कर्मचारी के वेतन से NPS Investment के लिए कटौती करे और उस कटौती की जानकारी संबंधित PAO को दे।
PAO इस कटौती के विवरण को CRA system में अपलोड करता है और उसके बाद कर्मचारी के वेतन से की गई कटौती को उसके Tier-I कहते में जमा कर दिया जाता है।
सरकारी कर्मचारी के Tier-I खाते में दूसरा योगदान सरकार के द्वारा किया जाता है जो वर्तमान में कर्मचारी के Basic Pay और Dearness Allowance के योग के 14% है।
यह लाभ केवल सरकारी कर्मचारियों और वेतनभोगी कर्मचारियों को प्राप्त है।
NPS के अंतर्गत आने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए 1 अप्रैल 2019 से आठ फंड मैनेजरों में से अपने पसंदीदा फंड मैनेजर चुनने के लिए सुविधा उपलब्ध कराई गई है। यही फंड मैनेजर सरकारी कर्मचारी द्वारा किए गए NPS Investment का प्रबंधन करते हैं।
ये आठ फंड मैनेजर निम्नलिखित हैं-
- Aditya Birla Sun Life Pension Management Limited.
- HDFC Pension Management Company Limited.
- UTI Retirement Solutions Limited.
- SBI Pension Funds Private Limited.
- ICICI Prudential Pension Funds Management Company Limited.
- Reliance Pension Fund.
- Kotak Mahindra Pension Fund Limited.
- LIC Pension Fund.
यदि कोई सरकारी कर्मचारी NPS Subscriber Form भरते समय अपने पसंद के फंड मैनेजर को नहीं चुनता है तो उसके द्वारा NPS में Invest किए गए धन को निम्नलिखित तीन पेंशन फंड मैनेजरों के बीच एक निश्चित अनुपात में बाँट दिया जाता है-
- LIC Pension Fund Limited
- SBI Pension Funds Pvt. Limited
- UTI Retirement Solutions Limited
यही तीन फंड मैनेजर अब उस कर्मचारी के NPS Investment का प्रबंधन करेंगे।
फंड मैनेजरों के चुनाव के बाद अब सरकारी कर्मचारी निम्नलिखित चार Asset Allocations में से किसी एक को चुन सकता है-
- Default Scheme – इसके अंतर्गत LIC, UTI और SBI में निवेश किया जाएगा।
- Scheme G – सरकारी बॉन्ड में 100% का निवेश। ये उन सरकारी कर्मचारियों के लिए सही होता है जो कम से कम रिस्क लेना चाहते हैं, भले ही रिटर्न कम हो।
- Scheme LC 50 – इसके अंतर्गत कुल Asset का अधिकतम 50% Equity में निवेश किया जाता है।
- Scheme LC 25 – इसके अंतर्गत कुल Asset का अधिकतम 25% Equity में निवेश किया जाता है।
शुरुआत में सरकारी कर्मचारियों के लिए एनपीएस योजना के फंड मैनेजरों को इक्विटी में योगदान का केवल 15% निवेश करने की अनुमति थी, जिसे 2019 से बढ़ाकर 50% तक कर दिया गया है।
Tier-II में NPS Investment:
कोई सरकारी कर्मचारी Tier-II में तभी Investment कर सकता है जब उसका Tier-I खाता खुला हो।
New Pension Scheme के Tier-II में Investment सरकारी कर्मचारियों सहित किसी भी व्यक्ति के लिए स्वैच्छिक होता है।
यदि कोई सरकारी कर्मचारी Tier-II में Investment करना चाहता है तो वह अपनी इच्छा से कर सकता है।
पहले इसमें Invest की गई राशि पर कोई Income Tax छूट का लाभ नहीं मिलता था। इसलिए सरकारी कर्मचारी इसमें Investment करने में उतनी रुचि नहीं दिखते थे।
लेकिन केंद्र सरकार द्वारा पेश की गई एक स्कीम के अनुसार यदि कोई सरकारी कर्मचारी Tier-II में Investment करता है तो वह 80C के तहत मिलने वाले 1.5 लाख रुपये के Income Tax छूट में इस Investment को दिखा सकता है।
सेवानिवृत्ति के समय निकासी धन का आंशिक निवेश:
नई पेंशन योजना के तहत सेवानिवृत्त कर्मचारी सेवानिवृत्ति के समय एक साथ केवल 60% राशि निकाल सकते हैं और शेष 40% राशि का उपयोग जीवन बीमा योजना में कर दिया जाता है।
सेवानिवृत्त व्यक्ति अपनी आवश्यकता के अनुरूप सभी प्रकार की बीमा कंपनियों, बैंकों और वित्तीय संस्थानों के माध्यम से जीवन बीमा योजना खरीद सकता है।
सेवनिवृत व्यक्ति जीवन बीमा में निवेशित इस राशि के आधार पर वह अपने शेष जीवन के लिए नियमित रूप से मासिक पेंशन प्राप्त कर सकता है।
यदि कोई सरकारी कर्मचारी अपने सेवानिवृत्ति की आयु यानी 60 साल तक पहुंचने से पहले NPS को छोड़ने का विकल्प चुनता है, तो उसको सेवानिवृत्ति के बाद Mandatory Annuity के तहत मिलने वाले कुल पेंशन का केवल अस्सी प्रतिशत ही मिलेगा।
संक्षिप्तकि:
1.किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा Tier-I खाते में निवेश करना अनिवार्य होता है, जबकि Tier-II में यह स्वैच्छिक होता है।
2. किसी सरकारी कर्मचारी के Tier-I में उस कर्मचारी के साथ-साथ सरकार द्वारा भी निवेश किया जाता है।
3. कर्मचारी और सरकार द्वारा किया गया यह निवेश क्रमशः उसके Basic Pay और Dearness Allowance के योग के 10% और 14% होता है।
4. NPS के अंतर्गत आने वाले सरकारी कर्मचारी आठ फंड मैनेजरों में से अपने पसंदीदा फंड मैनेजर चुन सकते हैं।
5. सरकारी कर्मचारियों के लिए Default फंड मैनेजर- LIC Pension Fund Limited, SBI Pension Funds Pvt. Limited और UTI Retirement Solutions Limited
6. फंड मैनेजरों को किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा NPS में योगदान के 50% तक को Equity में Invest करने की अनुमति है।
7. सेवानिवृत्त कर्मचारी अपने NPS फंड में से केवल 60% तक की ही निकासी कर सकते हैं और शेष 40% का Investment जीवन बीमा योजनाओं में कर दिया जाता है।
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