आज हम एक ऐसी तकनीक के बारे में बताने वाले हैं जो मानव क्षमताओं को विस्तार देने की क्षमता रखती है। ये तकनीक है कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी Artificial Intelligence (AI)।
आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस मानव मस्तिष्क की तरह सोचने, सीखने और कार्य करने की मशीनों की क्षमता है। यह एक तेजी से विकसित हो रहा क्षेत्र है जो हमारे जीवन के हर पहलू को बदलने की क्षमता रखता है।
ईश्वर ने मनुष्यों और अन्य जीवों को ऐसी क्षमता दी है जिससे वो परिस्थिति के अनुसार भाव प्रकट कर सकते हैं I उन्हें आस-पास हो रही घटनाओं को महसूस करने की क्षमता होती हैI परन्तु यही क्षमता अब निर्जीव वस्तुओं में विकसित होने लगी है I अब मशीनें भी मनुष्यों की तरह प्रतिक्रिया करने लगी हैं, उनकी भाषाएँ समझने लगी हैं, उनके चेहरे का भाव समझने लगी हैं I
दैनिक जीवन में ऐसे बहुत सारे उदाहरण मिल जायेंगे जहाँ इस तरह की तकनीक का प्रयोग होता है। इस लेख में यानि “Artificial Intelligence in Hindi” में हमनें कुछ महत्वपूर्ण उदाहरणों के बारे में भी जानकारी दी है जिनमें Artificial Intelligence का प्रयोग होता है।
तो आईए जानते हैं कि आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस क्या होता है और इससे संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ। इसके लिए इस लेख “Artificial Intelligence in Hindi” को पूरा पढ़ें।
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आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस क्या होता है | Artificial Intelligence in Hindi
Artificial का हिंदी अर्थ कृत्रिम होता है अर्थात ऐसी वस्तु जिसका निर्माण मनुष्यों ने किया है और Intelligence का हिंदी अर्थ बुधिमत्ता होता है I इसी बुधिमत्ता के कारण मनुष्य अन्य जीवों से अलग होता है क्योंकि उसके पास सोचने की शक्ति होती है I
इससे स्पष्ट हो जाता है कि आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस एक ऐसी कृत्रिम बुद्धि है जिसका विकास मनुष्यों ने किया हैI
क्या आपने भी दैनिक जीवन में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस की तकनीक पर गौर किया है I यदि नहीं तो कुछ उदाहरणों से इसे समझिये I
आजकल स्मार्ट फोन लगभग प्रत्येक व्यक्ति के पास है I उनमे से बहुत से लोग अपना चेहरा पहचानने वाला लॉक लगा के रखते हैं I उनका फ़ोन तभी अनलॉक होता है जब फेस रिकग्निशन के द्वारा उनका चेहरा पहचान लेता है I
दूसरा उदाहरण गूगल में वॉइस सर्च का है I जब आप कुछ सर्च करने के लिए बोलते हैं तो सर्च इंजन आपकी भाषा समझकर परिणाम आपके सामने लाकर रख देता है I
अब बात आती है कि मनुष्यों को ऐसी क्या जरुरत महसूस होने लगी कि उन्होंने आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का विकास किया I तो इसका उत्तर है कम समय में ज्यादा काम को सही तरीके और कम से कम गलती के साथ निपटाना I
एक उदाहरण से समझें तो आजकल सड़कों पर लगे स्पीड गन जो तेजी से जाती हुई गाड़ी की गति को जानने में बहुत ही कम समय लेती है I ऐसे तमाम उदाहरण पड़े हैं जिससे समझ में आता है कि इस तरह की तकनीक की जरुरत आजकल क्यों पड़ रही है I
आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के प्रकार
आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस को हम दो मुख्य भागों में बाँट सकते हैं-
- सोचने की क्षमता(Capabilities) के आधार पर
- कार्य करने की क्षमता (Functionality) के आधार पर
सोचने की क्षमता(Capabilities) के आधार पर आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के तीन भाग हैं-
A. Weak AI or Narrow AI
यह आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस किसी एक विशेष प्रकार के कार्य को सम्पादित करने में ही सक्षम होते हैं I ये जिस कार्य के लिए बनाये गए हैं उनको छोड़कर कोई और कार्य नहीं कर सकते I
उदाहरण के तौर पर चेस बोर्ड, लूडो जैसे गेम; गूगल असिस्टेंट, गूगल ट्रांसलेट, Siri, Cortana, Alexa जैसे वर्चुअल असिस्टेंट्स और होम असिस्टेंट्स. वर्तमान समय Narrow AI का ही चल रहा है I
B. General AI
इस आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस की सोचने की क्षमता मनुष्य के सोचने की क्षमता के बराबर हो जाती है I अर्थात इस AI आधारित रोबोट्स या गैजेट्स मनुष्यों की तरह सोचने और कार्य करने लगेंगे I
C. Super AI
इस आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस की सोचने की क्षमता मनुष्य के सोचने की क्षमता से अधिक हो जाती है I इस AI आधारित रोबोट्स या गैजेट्स मनुष्यों से ज्यादा सोचने लगेंगे और असाधारण निर्णय लेने लगेंगे I
कार्य करने की क्षमता (Functionality) के आधार पर आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के चार भाग हैं-
A. Reactive Machines
ये मशीनें आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस आधारित सबसे बुनियादी(Basic) मशीन होती हैं I इनके पास कुछ भी याद करने की क्षमता नहीं होती अर्थात ये पहले किये हुए कार्य के अनुभव के आधार पर कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं दे सकतीं I
इसका सबसे अच्छा उदाहरण आईबीएम (IBM) का डीप ब्लू (Deep Blue) मशीन है जिसने शतरंज चैंपियन गैरी कास्पारोव को हराया था I
B. Limited Memory
नाम से ही स्पष्ट है कि इसपर आधारित मशीनें भूतकाल में किये कार्यों के अनुभव के अनुसार निर्णय लेने में सक्षम होती हैं I लेकिन इसकी भी एक सीमा होती है I इसीलिए इसे Limited Memory AI कहते हैं I
वर्तमान में AI आधारित लगभग सभी चैटबोट्स और सेल्फ ड्राइविंग कार इसके अच्छे उदाहरण हैं I
C. Theory of Mind
इस प्रकार के AI मशीनें मनुष्यों के इमोशंस, बिलीफ, थॉट्स और एक्सपेक्टेशंस को समझने में और सामाजिक रूप से बातचीत करने में सक्षम होती हैं I
वर्तमान में इस AI आधारित अभी ऐसी कोई भी मशीन नहीं बनी है I
D. Self-Awareness
इसे हम AI का फाइनल स्टेज कह सकते हैं I उस समय AI मशीने सुपर इंटेलीजेंट होंगी I उनके पास स्वयं सोचने की क्षमता होगी, उनके अन्दर चेतना होगी और सेल्फ-अवेयरनेस होगा I
अर्थात उस समय मशीनें पूरी तरह से मनुष्यों के जैसी सोचने की क्षमता रखेंगी I
आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (AI) का विकास
जैसा कि हम जानते हैं कि तंत्रिका तंत्र की सबसे छोटी इकाई को न्यूरॉन (Neuron) कहते हैं I
इसके विषय में वैज्ञानिकों को बहुत पहले से पता था परन्तु सन 1943 में न्यूरोसाइंटिस्ट Warren MuCulloch और Walter Pitts ने इसका गणितीय मॉडल प्रस्तुत किया I
सन 1950 में Donald O Hebb ने न्यूरॉन और मनुष्य के स्वाभाव के बीच में सम्बन्ध का विस्तृत वर्णन किया I
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश कंप्यूटर वैज्ञानिक एलन टूरिंग (Alan Turing) ने एक ऐसी मशीन बनायी जो एनिग्मा (Enigma) (जिसका उपयोग जर्मन सेना द्वारा संदेशों को सुरक्षित रूप से भेजने के लिए किया जाता था) द्वारा भेजे संदेशों को समझने के लिए इस्तेमाल होती थी।
उन्होंने 1950 में अपने लेख कंप्यूटिंग मशीनरी एंड इंटेलिजेंस (Computing Machinery and Intelligence) में यह सुझाव दिया कि यदि मनुष्य उपलब्ध सूचनाओं और कारणों का प्रयोग समस्याओं को हल करने के लिए करते हैं, तो यह मशीनों की मदद से क्यों नहीं किया जा सकता है I
1950 में ही क्लाउड शैनन (Claude Shannon), जिन्हें सूचना सिद्धांत का जनक (Father of information theory) कहा जाता है, ने प्रोग्रामिंग ए कंप्यूटर फॉर प्लेइंग चैस (Programming a Computer for Playing Chess) नामक लेख प्रकाशित किया जो शतरंज खेलने वाले कंप्यूटर प्रोग्राम के विकास पर चर्चा करने वाला पहला लेख था।
1955 में एलन नेवेल (Allen Newell) और हर्बर्ट ए. साइमन (Herbert A. Simon) ने पहला आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर प्रोग्राम विकसित किया जिसे लॉजिक थीअरिस्ट (Logic Theorist) कहा गयाI
1956 में डार्टमाउथ कॉलेज (हनोवर, न्यू हैम्पशायर) में हुए एक सम्मलेन में अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक जॉन मैक्कार्थी ने पहली बार आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस शब्द को अपनाया। इस तरह आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस शब्द की उत्पति हुई I इसीलिए John McCarthy को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जनक (Father of Artificial Intelligence) कहा जाता है I
1958 में जॉन मैक्कार्थी ने LISP नामक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का विकास किया जो आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस में शोध करने के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है I
1950 के दशक में ही अमेरिकी वैज्ञानिक जॉर्ज डेवोल (George Devol) ने पहला औद्योगिक रोबोट का अविष्कार किया जिसे जनरल मोटर्स में काम के लिए लगाया गया I
1961 में जेम्स स्लैगल ने SAINT (Symbolic Automatic INTegrator) का अविष्कार किया I
1960 के दशक में शोधकर्ताओं ने गणितीय और रेखा गणितीय समस्याओं को सुलझाने के लिए अल्गोरिथम के विकास पर अपना पूरा जोर लगाया I
1966 में जोसेफ वेइज़ेनबाम (Joseph Weizenbaum) ने ELIZA नामक विश्व का पहला चैटबोट बनाया।
1966 में ही चार्ल्स रोसेन (Charles Rosen) और उनकी टीम ने Shakey नामक रोबोट बनाया जो सामान्य काम के लिए बनाया गया था I इसे पहला इलेक्ट्रॉनिक पर्सन के नाम से भी जाना गया।
1972 में जापान में WABOT-1 नामक विश्व का पहला इंटेलीजेंट हुमानोइड रोबोट का विकास किया गया I
1974 से 1980 के बीच के समय को “ए.आई विन्टर (AI winter) के नाम से जाना गया, क्योंकि उस समय कुछ रिपोर्ट्स में ए.आई के शोध की आलोचना की गयी I
इससे कई देशों की सरकारों ने इस क्षेत्र में फंडिंग करना रोक दिया और वैज्ञानिकों को शोध करने में दिक्कत महसूस होने लगी I
यह क्षेत्र फिर से 1980 के दशक में पुनर्जीवित हो गया जब ब्रिटिश सरकार ने जापानियों के प्रयासों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए पुन: धन देना शुरू कर दिया।
1980 में वापसी के दौरान एक्सपर्ट सिस्टम का विकास हुआ I 1980 में ही स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ़ आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का राष्ट्रीय सम्मलेन हुआ I
1986 में मर्सिडीज बेंज ने एक ऐसे कार का निर्माण किया जो बिना ड्राईवर के भी चल सकती थी I लेकिन यह बिना किसी बाधा और खुली सड़क पर ही चल सकती थी I
1987-1993 के मध्य दूसरा ए.आई विन्टर का समय रहा I
निवेशक और सरकारें जिस अनुपात में इस क्षेत्र में पैसे खर्च कर रहे थे उसके अनुरूप परिणाम नहीं आ रहे थे जिसके कारण इन्होने निवेश करना कम कर दिया I
शोधकर्ताओं को पुन: दूसरी बार नए-नए शोध करने के लिए पैसों की दिक्कत महसूस होने लगी I लेकिन शोधकर्ताओं की इस बात की उम्मीद थी कि एक दिन कंप्यूटर मनुष्यों की भाषा समझेगा, चित्रों को पहचानेगा और प्रतिक्रिया भी देगा I
इसी उम्मीद से उन्होंने कठिन परिस्थिति में भी शोध जारी रखा I नब्बे के दशक में कंप्यूटर का तेजी से विकास हुआ I
1995 में Richard Wallace ने A.L.I.C.E (Artificial Linguistic Internet Computer Entity) नामक एक चैटबोट का निर्माण किया जो ELIZA से प्रेरित था I
1997 में आईबीएम द्वारा निर्मित कंप्यूटर डीप ब्लू ने उस समय के चेस चैंपियन गैरी कास्पारोव को पराजित किया I
नब्बे के दशक में ए. आई. आधारित खिलौने भी बनने लगे I
डेव हैम्पटन (Dave Hampton) और कालेब चुंग (Caleb Chung) ने ए. आई. आधारित Furby नामक पहला खिलौना बनाया I
सोनी ने भी AIBO (Artificial Intelligence RoBOt) खिलौना बनाया जो कुत्ते की शक्ल का था I यह 100 से अधिक भाषाओँ को समझ सकता था तथा जवाब भी दे सकता था I
इसी समय Cynthia Breazeal ने Kismet नामक रोबोट बनाया जो इन्सान के शक्ल का था I यह अपने चेहरे से भावों को प्रदर्शित कर सकता था I
2000 में Honda ने AI आधारित ASIMO (Advanced Step in Innovative Mobility) नामक ह्यूमनोइड रोबोट बनाया I
2002 में i-Robot कम्पनी ने Roomba नामक वैक्यूम क्लीनर बनाया जो घर में रखे सामानों को ध्यान में रखते हुए घर की सफाई कर सकता था I
2000 के दशक में इस क्षेत्र ने बहुत विकास किया I नासा ने ए. आई. आधारित Spirit और Opportunity नामक दो रोबोट मंगल ग्रह पर भेजे I
गूगल ने चालक रहित कार का निर्माण किया I
गूगल सहित फेसबुक, ट्विटर, नेटफ्लिक्स जैसी कंपनिया अपने सॉफ्टवेयर और एप्प में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करने लगीं I
2010 में Microsoft ने Xbox 360 के लिए Kinect नामक पहला गेमिंग डिवाइस बनाया जो अपने 3D कैमरे और इन्फ्रारेड का प्रयोग करके खिलाड़ी के गतिविधियों का पता लगा लेता था I
2011 में IBM द्वारा निर्मित कंप्यूटर वॉटसन (Watson) ने एक प्रश्नोत्तर आधारित टीवी शो Jeopardy में इसी शो के पूर्व चैंपियन Ken Jennings और Brad Rutter को पराजित किया I
2010 के बाद कई कंपनियों ने आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस आधारित सॉफ्टवेयर और रोबोट्स का निर्माण किया I
उदारण के तौर पर एप्पल (Apple) ने Siri तथा माइक्रोसॉफ्ट ने Cortana नामक वर्चुअल असिस्टेंट बनाया तो Amazon ने Amazon Alexa नामक होम असिस्टेंट बनाया I
ये सभी ना केवल इंसानों की भाषा समझते हैं बल्कि परिस्थिति के अनुसार सुझाव भी देते हैं I ये उपयोगकर्ताओं द्वारा दिए गए कमांड का पालन भी करते हैं I
2016 में हांगकांग स्थित Hanson Robotics ने Sophia नामक ह्यूमनोइड रोबोट बनाया जो प्रश्न और दिए गए उत्तर के अनुसार अपने चेहरे पर भाव प्रकट कर सकती है।
गूगल का वर्चुअल असिस्टेंट “Duplex” ना केवल बातचीत करने में सक्षम है बल्कि वह होटल्स, सैलून जैसे जगहों पर अपॉइंटमेंट लेने में भी सक्षम है I
इस तरह आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का जो वर्तमान रूप है वह हमारे वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की कड़ी मेहनत का परिणाम है I
आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के प्रयोग और उदाहरण
वर्तमान में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का प्रयोग लगभग हर क्षेत्र में होने लगा है, चाहे वो चिकित्सा हो, बैंकिंग हो, व्यवसाय हो, कृषि हो या अन्य कई क्षेत्र। यहाँ तक कि आप अपने घरों में प्रयोग किये जाने वाले उपकरणों में भी आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का प्रयोग होते हुए देख सकते हैं।
इनमें में कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण नीचे दिए गए हैं जहां आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का प्रयोग किया जा रहा है –
वर्चुअल पर्सनल असिस्टेंट (Virtual Personal Assistants)
वर्चुअल पर्सनल असिस्टेंट, जैसे सिरी (Siri), गूगल असिस्टेंट (Google Assistant) और अलेक्सा (Alexa ) में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस तकनीक का प्रयोग किया जाता है। जब कोई व्यक्ति इन्हें कमांड देता है तो ये आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करके रिप्लाइ देते हैं। इतना ही नहीं ये आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के द्वारा रिमाइंडर सेट कर सकते हैं, अपॉइंटमेंट शेड्यूल कर सकते हैं, सवालों के जवाब दे सकते हैं, मौसम संबंधी अपडेट प्रदान कर सकते हैं, गाना चला सकते हैं, स्मार्ट घरेलू उपकरणों को कंट्रोल कर सकते हैं।
चैटबोट्स (Chatbots)
आजकल चैटबॉट बहुत ही फेमस हो चुके हैं। ये भी आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करके आपके प्रश्नों का जवाब दे सकते हैं। आप इनके साथ या तो टेक्स्ट या वॉयस के माध्यम से बातचीत कर सकते हैं। इनका प्रयोग आम तौर पर कस्टमर केयर वाले जगहों पर किया जाता है। यदि आपको किसी सर्विस या सामान के बारे में शिकायत करनी है या उसके बारे में कोई जानकारी लेनी है तो ये चैटबॉट आपकी मदद कर सकते हैं।
ये उत्तर ढूँढने के लिए आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करते हैं। आजकल लगभग सभी कंपनियां अपनी वेबसाइट और मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म पर चौबीसों घंटे सहायता प्रदान करने और ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने के लिए चैटबॉट का उपयोग करती हैं।
सेल्फ ड्राइविंग कार (Self-driving Cars)
सेल्फ ड्राइविंग गाड़ियों में तो आजकल आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का बहुत अधिक प्रयोग किया जा रहा है। इनमें प्रयोग की जाने वाली आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस इतना अड्वान्स होता है कि ये गाड़ियां सड़क और उसपर ट्राफिक को आसानी से समझ जाती हैं। इनका आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस सिस्टम वास्तविक समय में निर्णय लेने में सक्षम होता है। इन्हें चलाने के लिए किसी इंसान की जरूरत नहीं पड़ती है और इनमें सुरक्षित और कुशल परिवहन सुनिश्चित होता है।
स्मार्ट होम डिवाइस (Smart Home Devices)
घरों में भी आजकल स्मार्ट होम डिवाइस लगने लगे हैं, जैसे सिक्युरिटी कैमरा, लाइटिंग सिस्टम आदि। ये आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस आधारित डिवाइस होते हैं और समय के साथ उपयोगकर्ता के व्यवहार को समझ जाते हैं और उसी के अनुसार बिहैव करने लगते हैं। जैसे समय के अनुसार लाइट कम या ज्यादा होना, एनर्जी सैविंग चालू हो जाना आदि।
इमेज एंड स्पीच रिकग्निशन (Image and Speech Recognition)
चित्रों और आवाजों को पहचानने वाले कुछ ऐसे एप होते हैं जो आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करके लोगों, वस्तुओं, दृश्यों को पहचान जाते हैं। साथ ही उनका वर्गीकरण भी कर सकते हैं। ऐसे ही कुछ एप आवाजों को पहचानते हैं और फिर उन्हें टेक्स्ट में बदल देते हैं। यानि आप जो भी बोलते हैं वो आपके फोन या कंप्युटर में अपने आप टाइप होने लगते हैं। ये आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का ही कमाल है।
लैंग्वेज ट्रांसलेशन
ये ट्रांसलेटर तो आजकल बहुत प्रचलित हैं। ये किसी एक भाषा में दिए गए टेक्स्ट या स्पीच को दूसरी भाषा में बदलने में सक्षम होते हैं। इसके लिए ये ट्रांसलेटर भी आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करते हैं। गूगल ट्रांसलेटर इसका एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
हेल्थकेयर डायग्नोस्टिक्स
हेल्थकेयर सेक्टर में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का प्रयोग बहुत बढ़ गया है। एआई-संचालित उपकरण कैंसर जैसी बीमारियों का पता लगाने, एक्स-रे और एमआरआई जैसी जैसे चित्रों को ऐनलाइज़ करने और फिर ट्रीट्मन्ट करने के लिए सलाह भी देते हैं।
ए.आई. राइटर्स और कंटेन्ट क्रीऐटर
आजकल ए.आई. राइटर्स का प्रयोग भी बहुत अधिक होने लगा है। इनका प्रयोग करके किसी विषय पर ऐसे लेख लिखा जा सकता है जैसे किसी मनुष्य ने लिखा हो। ये आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस संचालित एप या वेबसाईट लेख, ब्लॉग पोस्ट, प्रोडक्ट डिस्क्रिप्शन और यहां तक कि काल्पनिक कहानियां भी बना सकते हैं। इससे कंटेन्ट राइटर्स को भी गुणवत्ता वाला कंटेन्ट बिना ज्यादा मेहनत किये और कम समय में मिल जाता है।
फेसिअल रिकग्निशन यानि चेहरे की पहचान
चेहरे की पहचान करने वाले एप आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करके व्यक्तियों को उनके चेहरे की विशेषताओं के आधार पर पहचानती हैं और फिर वेरीफ़ाई करती है। इस तकनीक का उपयोग सुरक्षा उपकरणों, स्मार्टफ़ोन को अनलॉक करने और यहां तक कि सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर फ़ोटो में लोगों को टैग करने के लिए किया जाता है।
ए.आई इमेज जनरेटर
ए.आई इमेज जनरेटर का प्रयोग करके आप बहुत ही खूबसूरत और आश्चर्यजनक इमेज बना सकते हैं। इसके लिए आपको बस इमेज का डिस्क्रिप्शन देना है और ये ए.आई इमेज जनरेटर किसी भी तरह का इमेज बना देते हैं। ये किसी अन्य इमेज का प्रयोग करके भी आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस इमेज बनाने में सक्षम हैं।
आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का भविष्य
आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का भविष्य क्या होगा यह तो कहना मुश्किल है परन्तु वर्तमान में हो रहे शोधों से अनुमान लगाया जा सकता है कि आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस आधारित मशीनें मनुष्य के जीवन को काफी हद तक प्रभावित करेंगी I
यह घर के रोजमर्रा के कार्यों से लेकर ऑफिस के फाइलों को निपटाने तक का कार्य कर सकेंगी I औद्योगिक क्षेत्र से लेकर कृषि क्षेत्र में भी इनका वर्चस्व हो सकता है I
इनका सदुपयोग जहाँ मनुष्य जाति के लिए वरदान साबित होगा वहीं इनका दुरुपयोग अभिशाप बन जायेगा I
परन्तु मनुष्य इतना समझदार जीव है कि इनका विकास करते समय इस बात का जरुर ध्यान रखेगा कि ये कहीं इतनी ताकतवर ना बन जाएँ कि मनुष्यों को ही इनका गुलाम बनकर जीना पड़े I
इस विषय पर विश्व सिनेमा में कई ऐसी फ़िल्में बन चुकी हैं जिनमें इन रोबोट्स और मनुष्यों के बीच युद्ध को दर्शाया गया है I लेकिन फिल्म और वास्तविकता में बहुत अंतर है I
Artificial Intelligence in Hindi निष्कर्ष
उपरोक्त लेख में हमने पढ़ा कि आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस क्या है , इसके कितने प्रकार हैं तथा इसके विकास का इतिहास क्या है I
यदि इसके भविष्य की बात करें तो वर्तमान में वैज्ञानिक और शोधकर्ता इस क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के आविष्कार करने में जोर-शोर से लगे हुए हैं I
उन्हें सफलताएँ भी मिल रही हैं और संभवतः भविष्य में ऐसी मशीनों का अविष्कार भी हो जायेगा जिनमें मनुष्यों के जैसे सोचने की क्षमता रहेगी I
जनवरी 2015 में स्टीफन हॉकिंग, एलोन मस्क और दर्जनों वैज्ञानिकों ने एक खुला पत्र लिखा जिसमें आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के सामाजिक जीवन पर पड़ने वाले गलत प्रभाव पर चर्चा की गयी है I
यह विचारणीय है कि यदि ये रोबोट्स मनुष्यों से अधिक समझदार हो गए तो क्या होगा ? क्या ये मानव जाति के भविष्य के लिए खतरनाक साबित होंगे या सहायक ? ये तो भविष्य में ही पता चल पायेगा I
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