एंटी डंपिंग ड्यूटी (Anti-Dumping Duty- ADD) क्या होता है ?

हाल ही में केंद्र सरकार ने चीन से आयातित पाँच सामानों पर डंपिंग रोधी शुल्क यानी Anti-Dumping Duty लगा दी है। यह पाँच सालों के लिए लगाई गई है।

केंद्र सरकार ने ऐसा स्थानीय मैन्यूफैक्चरर्स को सस्ते आयात से बचाने और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए किया है।

केंद्र सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

Anti-Dumping Duty kya hota hai
Anti-Dumping Duty क्या होता है

जिन पाँच चीनी सामानों पर Anti-Dumping Duty लगाई गई है वो हैं- सोडियम हाइड्रोसल्फाइट, सिलिकान सीलेंट, हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) कंपोनेंट R-32, हाइड्रोफ्लोरोकार्बन और एल्यूमीनियम के कुछ फ्लैट रोल्ड उत्पाद।

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सोडियम हाइड्रोसल्फाइट का उपयोग डाइ उद्योग में, सिलिकान सीलेंट का उपयोग सौर फोटोवोल्टिक माड्यूल और थर्मल पावर एप्लीकेशन के निर्माण में, हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) कंपोनेंट R-32 और हाइड्रोफ्लोरोकार्बन का उपयोग रेफ्रिजरेशन इंडस्ट्रीज में होता है।

Anti-Dumping Duty क्या होता है ?

पहले हम अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की भाषा में जानते हैं कि डम्पिंग क्या होता है।

जब किसी देश के किसी उत्पाद निर्माता द्वारा किसी अन्य देश में वहाँ निर्मित किए जाने वाले उस उत्पाद की कीमत से कम कीमत पर निर्यात किया जाता है तो उसे डंपिंग कहा जाता है।

इसी डम्पिंग को रोकने के लिए उस देश की सरकार Anti-Dumping Duty लगाती है जहाँ पर उस उत्पाद को निर्यात किया जा रहा है।

क्योंकि डम्पिंग के कारण आयात करने वाले देश के घरेलू बाजार और विनिर्माण कंपनियों के लाभ पर प्रतिकूल असर पड़ता है।

इस तरह के व्यापार को एक उचित व्यापार प्रथा के रूप में नहीं माना जाता है। इससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधों पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है और व्यापार पर विकृत प्रभाव पड़ने की संभावना रहती है।

इसीलिए कभी-कभी कुछ देश Anti-Dumping Duty लगा देते हैं जिससे कि उनके यहाँ के घरेलू उद्योग पर कोई प्रतिकूल असर ना पड़े। इससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था में समानता को बनाए रखने में भी मदद मिलती है।

इस तरह Anti-Dumping Duty लगाकर कोई देश अपने यहाँ की घरेलू कंपनियों को संरक्षण देता है। इसे विश्व व्यापार संगठन भी उचित मानता है। क्योंकि इसके द्वारा अनुकूल व्यापार प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया जा सकता है।

एक Anti-Dumping Duty की वैधता अवधि इसके लागू होने की तिथि से पाँच वर्ष की अवधि के लिये रहती है। यदि सरकार चाहे तो इसे पाँच वर्ष की वैधता अवधि से पूर्व भी रद्द कर सकती है।

लेकिन यदि उस देश की सरकार को लगता है कि इसे और अधिक अवधि के लिए लागू रखना जरूरी है तो इसकी समीक्षा जाँच के बाद से पाँच वर्ष की अवधि के लिये और लागू कर सकती है।

Anti-Dumping Duty लगाने की सिफारिश किसने की?

चीन द्वारा आयातित इन पाँच उत्पादों पर Anti-Dumping Duty लगाने की सिफारिश व्यापार उपचार महानिदेशालय (DGTR- Directorate General of Trade Remedies) ने कि थी।

DGTR वाणिज्य मंत्रालय एवं उद्योग मंत्रालय की एक जांच शाखा है। यह इस मंत्रालय के तहत सर्वोच्च राष्ट्रीय प्राधिकरण है। Directorate General of Trade Remedies का गठन 2018 में ‘डंपिंग रोधी एवं संबद्ध शुल्क महानिदेशालय’ (Directorate General of Anti-Dumping and Allied Duties-DGAD) के स्थान पर किया गया था।

DGTR का काम है कि अन्य देशों द्वारा भारत को निर्यात की जाने वाली वस्तुओं के डम्पिंग के बारे में जांच करे और वाणिज्य विभाग को सिफारिश करे। उन सिफारिशों के आधार पर ही जरूरत के अनुसार सरकार आयातित वस्तुओं पर Anti-Dumping Duty लगाती है।

इससे घरेलू उद्योगों और निर्यातकों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।

इस बार भी चीन से आयातित उपरोक्त पाँच उत्पादों पर Anti-Dumping Duty लगाई गई है। DGTR ने जांच में पाया कि चीन ने इन उत्पादों को सामान्य मूल्य से कम कीमत पर भारतीय बाजारों में निर्यात किया है। इस तरह चीन ने इन उत्पादों की डम्पिंग की है और इसके कारण घरेलू उद्योगों को नुकसान हुआ है।

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