राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) हर साल 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर पूरे भारत में मनाया जाता है।
सरदार वल्लभभाई पटेल ने आजादी के बाद कई रियासतों को भारत संघ में मिलाकर भारत के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसलिए उन्हें भारत के संस्थापकों में से एक माना जाता। उनके मजबूत नेतृत्व और दृढ़ संकल्प के लिए उन्हें “भारत का लौह पुरुष (Iron Man of India)” भी कहा जाता है।
राष्ट्रीय एकता दिवस सभी भारतीयों के बीच एकता और अखंडता के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। यह दिवस भारत में एकता और अखंडता के महत्व की याद दिलाता है। गया था।
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राष्ट्रीय एकता दिवस का इतिहास
31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाने का विचार पहली बार 2014 में भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित किया गया था और 31 अक्तूबर 2014 को सरदार वल्लभभाई पटेल की 143वीं जयंती के अवसर पहला राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया था।
भारत सरकार ने यह तारीख इसलिए चुना क्योंकि यह दिन सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती है और उन्होंने आजादी के बाद भारत के एकीकरण में अहम भूमिका निभाई थी। इसलिए इस पहल की शुरुआत देश में पटेल के योगदान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई।
पहला राष्ट्रीय एकता दिवस पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रमों और आयोजनों के साथ मनाया गया था। सरकार ने लोगों को इन समारोहों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए “Run for Unity” नामक एक अभियान भी चलाया। यह अभियान बहुत सफल जिसमें लाखों लोगों ने भाग लिया।
राष्ट्रीय एकता दिवस का महत्व
भारत विभिन्न संस्कृतियों और विरासत वाला एक विशाल और विविधतापूर्ण देश है। इस देश में विभिन्न धर्मों, भाषाओं, रीति-रिवाजों वाले लोग निवास करते हैं।
इसी विविधता में एकता का जश्न मनाने के लिए राष्ट्रीय एकता दिवस भारत के लिए एक महत्वपूर्ण दिन होता है। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि अपनी विविधता के बावजूद, भारत एक एकजुट राष्ट्र है। राष्ट्रीय एकता दिवस को हम विभिन्न प्रकार के समारोहों का आयोजन करते हैं जो हमें भारतीय के रूप में एकजुट करते हैं। यह दिन एक मजबूत और एकजुट राष्ट्र के निर्माण के लिए हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। यह दिन सरदार वल्लभभाई पटेल सहित भारत की स्वतंत्रता और एकता के लिए लड़ने वाले लोगों के बलिदान को याद करने का भी अवसर है।
यह समय राष्ट्र के रूप में भारत के सामने आने वाली चुनौतियों पर विचार करने का भी है। इन चुनौतियों में गरीबी, असमानता और सांप्रदायिकता शामिल हैं। राष्ट्रीय एकता दिवस हमें विश्वास दिलाता है कि एक साथ काम करके, हम इन सभी चुनौतियों पर काबू पा सकते हैं और सभी भारतीयों के लिए एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।
आज की दुनिया में, जहां विभाजनकारी ताकतें हावी हो रही हैं, राष्ट्रीय एकता दिवस हमारे लिए पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। राष्ट्रीय एकता दिवस यह स्मरण करने का दिन है कि हम सभी भारतीय हैं, और हमें एक मजबूत और अधिक एकजुट राष्ट्र बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
राष्ट्रीय एकता दिवस 2023
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी, 31 अक्टूबर, 2023 गुजरात के एकता नगर में स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास राज्य पुलिस बलों, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और एनसीसी कैडेटों की भागीदारी के साथ राष्ट्रीय एकता दिवस परेड का आयोजन किया जाएगा।
इस अवसर पर सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा की ‘पद पूजा’ के साथ उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।
अभी राष्ट्रीय एकता सप्ताह 25 से 31 अक्टूबर, 2023 तक मनाया जा रहा है। इस दौरान ‘मेरी माटी मेरा देश’ अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य हमारी आजादी के लिए अपने जीवन का बलिदान देने वाले बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करना है। यह अभियान भारत और उसके लोगों की एकता का जश्न मनाने के लिए है।
इस अभियान के अंतिम दिन यानि 31 अक्तूबर को विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। जैसे-
- शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया जाएगा जिसमें राष्ट्रीय एकता के लिए प्रतिज्ञा ली जाएगी।
- विभिन्न वर्दीधारी बालों और एजेंसियों द्वारा मार्च पास्ट किया जाएगा।
- राष्ट्रीय एकता दिवस के दिन “Run for Unity” का भी आयोजन किया जाएगा इससे राष्ट्रीय एकता के संदेश को पूरे देश में फैलाने में मदद मिलेगी।
राष्ट्रीय एकता दिवस 2023 शपथ
मैं सत्यनिष्ठा से शपथ लेता हूँ कि मैं राष्ट्र की एकता, अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए स्वयं को समर्पित करुंगा और अपने देशवासियों के बीच यह संदेश फैलाने का भी भरसक प्रयत्न करुंगा। मैं यह शपथ अपने देश की एकता की भावना से ले रहा हूँ जिसे सरदार वल्लभभाई पटेल की दूरदर्शिता एवं कार्यों द्वारा संभव बनाया जा सका। मैं अपने देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपना योगदान करने का भी सत्यनिष्ठा से संकल्प करता हूँ।
National Unity Day Pledge
I solemnly pledge that I dedicate myself to preserve the unity, integrity and security of the nation and also strive hard to spread this message among my fellow countrymen. I take this pledge in the spirit of unification of my country which was made possible by the vision and actions of Sardar Vallabhbhai Patel. I also solemnly resolve to make my own contribution to ensure internal security of my country.
सरदार वल्लभभाई पटेल की संक्षिप्त जीवनी
वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था। उनके पिता का नाम झवेरभाई और माता का नाम लाडबा देवी था।
पटेल ने 1901 में बॉम्बे विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की और लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने कई वर्षों तक गुजरात के बारडोली में कानून का अभ्यास किया।
पटेल 1917 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और तेजी से कांग्रेस में आगे बढ़े। वह महात्मा गांधी के करीबी सहयोगी थे और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पटेल किसानों और कृषकों के अधिकारों के संघर्ष में विशेष रूप से सक्रिय थे।
इसी दौरान सरदार पटेल द्वारा किसानों के लिए खेड़ा आंदोलन चलाया गया। इस क्षेत्र में बारिश नहीं होने के कारण सूखा पड़ा और किसानों को कर देने में समस्या होने लगी। वहाँ के किसानों ने अंग्रेजी सरकार से कर में छूट देने की मांग की लेकिन सरकार ने इस मांग को स्वीकार नहीं किया। तब सरदार पटेल ने इन किसानों का नेतृत्व किया और उन्हें कर न देने के लिए प्रेरित किया। आंदोलन जब प्रभावी हुआ तो अंत में अंग्रेजी सरकार को झुकना पड़ा और किसानों को कर में राहत मिली।
उनके द्वारा चलाया गया दूसरा महत्वपूर्ण आंदोलन था- बारदोली आंदोलन। बारदोली सत्याग्रह भारत के गुजरात राज्य में 1928 में हुआ एक किसान आंदोलन था। इस आंदोलन में किसानों ने अंग्रेजों द्वारा लगाए गए अत्यधिक करों का विरोध किया। अंततः, सरकार ने किसानों की मांगों को मान लिया और करों में कमी कर दी। इस आंदोलन के दौरान, बारदोली की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को सरदार कहकर संबोधित करना शुरू कर दिया। महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को यह उपाधि उनकी मजबूत नेतृत्व क्षमता और किसानों के लिए उनके अथक प्रयासों के लिए दी।
1947 में, भारत को आज़ादी मिलने के बाद, पटेल को देश का पहला गृह मंत्री नियुक्त किया गया। उन्होंने ब्रिटिश भारत की 565 रियासतों और औपनिवेशिक प्रांतों को एक राष्ट्र में एकीकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पटेल को भारत की सिविल सेवा और कानून प्रवर्तन की नींव रखने का श्रेय भी दिया जाता है।
पटेल का 15 दिसंबर 1950 को 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के महानतम नेताओं में से एक और आधुनिक भारत के वास्तुकार के रूप में याद किया जाता है।