मार्गरेट अल्वा को विपक्ष ने होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। मारग्रेट अल्वा का नाम भारत के राजनीति में बहुत लंबे समय से जुड़ा हुआ है।
आईए जानते हैं कि मारग्रेट अल्वा कौन हैं और उनका राजनीतिक सफर क्या रहा है। साथ ही यह भी जानेंगे कि उन्हें कौन-कौन से अवार्ड मिल चुके हैं।
Margaret Alva Biography : पारिवारिक जीवन
मारग्रेट अल्वा का जन्म 14 अप्रैल 1942 को कर्नाटक के मैंगलोर में हुआ था। इनका परिवार एक रोमन कैथोलिक परिवार था। इनके पिता का नाम पास्कल एम्ब्रोस नजारेथ और माता का नाम एलिजाबेथ नजारेथ है।
मार्गरेट अल्वा ने अपनी उच्च शिक्षा बेंगलुरु से पूरी की। उन्होंने Mount Carmel College, Bangalore से स्नातक की डिग्री और गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, बैंगलोर से कानून की डिग्री हासिल की।
24 मई 1964 को मार्गरेट अल्वा की शादी निरंजन थॉमस अल्वा के साथ हुई। दोनों की मुलाकात गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में हुई थी। निरंजन अल्वा के पिता जोकिम अल्वा एक स्वतंत्रता सेनानी थे। मार्गरेट अल्वा की एक लड़की और 3 लड़के हैं।
राजनीतिक सफर
मारग्रेट अल्वा ने सन 1969 में राजनीतिक के क्षेत्र में कदम रखा। अप्रैल 1974 में उन्हें कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में राज्यसभा के लिए चुना गया।
मारग्रेट अल्वा 1975 से 1977 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की संयुक्त सचिव रहीं और 1978 से 1980 तक कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में कार्य किया।
मार्गरेट 1974 से 2004 तक पाँच बार सांसद रहीं (चार बार राज्य सभा सदस्य और एक बार लोकसभा सदस्य) और वह चार बार महत्वपूर्ण महकमों की राज्यमंत्री भी रह चुकी हैं।
अल्वा 1974 में राज्य सभा सांसद बनने के बाद अपना 6 साल का कार्यकाल पूरा किया और पुनः लगातार तीन बार क्रमशः 1980, 1986 और 1992 में राज्यसभा के लिए चुनी गईं।
उन्होंने साल 1999 में उत्तर कन्नड़ निर्वाचन क्षेत्र लोकसभा सदस्य के लिए चुनाव जीत और से सांसद बनीं। लेकिन साल 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
राज्यसभा में अपने कार्यकाल के दौरान वह 1983 से 1985 तक राज्यसभा उपाध्यक्ष भी रहीं। 1984 से 1985 तह वह संसदीय मामलों के मंत्रालयों में केंद्रीय राज्य मंत्री रहीं।
मारग्रेट अल्वा ने अलग-अलग संसद समितियों में भी काम किया। बाद में वह कुछ समय के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री भी रहीं। उन्होंने 1991 और 1993 से 1996 के बीच कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया।
मारग्रेट अल्वा कई राज्यों की राज्यपाल भी रह चुकी हैं। वह 6 अगस्त 2009 को उत्तराखंड की पहली महिला राज्यपाल बनीं। उन्होंने 14 मई 2012 तक उत्तराखंड के राज्यपाल का पद संभाला। बाद में वह राजस्थान, गुजरात और गोवा की भी राज्यपाल रहीं।
मारग्रेट अल्वा ने 2004 से 2009 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में भी कार्य किया।
मार्गरेट अल्वा को मिले सम्मान और सम्मानित
जब मारग्रेट अल्वा राजस्थान की राज्यपाल थीं तो उस समय 2012 के लिए उन्हें एक महिला द्वारा उत्कृष्ट सामाजिक और राजनीतिक योगदान के लिए Mercy Ravi award के लिए चुना गया था।
मारग्रेट अल्वा को दक्षिण अफ्रीका में रंग भेद के खिलाफ लड़ाई लड़ी लड़ने के लिए राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है।
उन्होंने महिला कल्याण और सशक्तिकरण के लिए भी संघर्ष किया और केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा महिला कल्याण से संबंधित कई कानून स्वीकृत करवाए।
माग्रेट अल्वा का Autobiography- Courage & Commitment