Ambedkar Jayanti 2023 : 14 अप्रैल को पूरे देश में अंबेडकर जयंती मनाई जाती है। क्योंकि इसी पावन तिथि को अपने देश के संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म हुआ था।
इस अवसर पर पूरे देश में उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया जाता है और उनके संघर्षमय जीवन से प्रेरणा लेने की बात की जाती है। देश के सभी सरकारी कार्यालयों में भी अंबडेकर जयंती को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
Ambedkar Jayanti 2023
डॉ. भीमराव आंबेडकर को आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में भी जाना जाता है। इस देश को एक मजबूत राष्ट्र के रूप में उभारने में भी उनका एक अहम् योगदान रहा है।
इस लेख में हम डॉ भीमराव अंबेडकर के जीवन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें बताने वाले हैं और साथ ही उनके कुछ अमूल्य विचारों के बारे में भी बताएंगे।
डॉ. भीमराव आंबेडकर के बारे में संक्षिप्त जानकारी –
Name | BR Ambedkar |
Full Name | Bhimrao Ramji Ambedkar |
Birthdate | April 14, 1891 |
Birthplace | Mhow, Central Provinces, British India |
Education | University of Mumbai, Columbia University, London School of Economics |
Profession | Jurist, economist, politician, social reformer |
Known for | Drafting the Constitution of India, Campaigning for the rights of Dalits (formerly known as “untouchables”) |
Awards/Honours | Bharat Ratna (posthumously, in 1990) |
Death | December 6, 1956, in Delhi, India |
Legacy | Ambedkar Jayanti is celebrated as a public holiday in India, he is considered as the “Father of the Indian Constitution” |
Notable Quotes | “I measure the progress of a community by the degree of progress which women have achieved.”, “Freedom of mind is the real freedom.”, “Political democracy cannot last unless there lies at the base of it social democracy.” |
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डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म
बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू छावनी में हुआ था। उनके पिताजी का नाम रामजी सकपाल था और माता का नाम भीमाबाई सकपाल था। वे अपने माता-पिता की 14वीं व अंतिम संतान थे।
उनके बचपन का नाम भीम था लेकिन उनके गुरु गुरु महादेव अम्बेडकर के सुझाव पर उनका नाम भीमराव अम्बेडकर रख दिया गया।
मूलरूप से ये एक मराठी परिवार से थे और उनका गाँव अंबडवेकर, महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में स्तिथ था।
डॉ भीमराव अंबेडकर महार जाति से थे जिसकी वजह से उन्हें बचपन से ही अपने समाज में भेदभाव का सामना करना पड़ा।
डॉ भीमराव अंबेडकर की शिक्षा
उनके परिवार की आर्थिक स्तिथि बहुत अच्छी नहीं थी फिर भी पढ़ाई के प्रति उनके लगन को देखते हुए उनके पिताजी ने अपने बालक भीम को अच्छी शिक्षा देने की पूरी कोशिश की।
आर्थिक तंगी और समाज में भेदभाव जैसी समस्याओं से जूझते हुए डॉ. भीमराव आंबेडकर ने उच्च शिक्षा हासिल की। उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए वे 21 जुलाई 1913 को कोलम्बिया विश्वविद्यालय गए जहां पर किसी तरह के भेदभाव का कोई स्थान नहीं था।
कठोर परिश्रम करके उन्होंने समय पर कोलम्बिया विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और उसके बाद पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।
इस तरह उन्होंने सभी प्रकार के कठिनाईयों का सामना करते हुए ना केवल उच्च शिक्षा प्राप्त की बल्कि आगे चलकर वे स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री भी बने।
राजनीतिक जीवन
डॉ. भीमराव आंबेडकर ने भले ही अपनी उच्च शिक्षा विदेशों में अर्जित की थी लेकिन उन्होंने अपना पूरा जीवन अपने देश के भले के लिए न्योछावर कर दिया था।
उन्होंने समाज में दलित वर्ग को सम्मान दिलाने के लिए कठिन संघर्ष किए। इसी को देखते हुए उन्होंने 1936 में स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की।
बाद में उन्हें स्वतंत्र भारत का प्रथम कानून मंत्री बनाया गया। उन्होनें इस देश के संविधान निर्माण में अहम योगदान दिया।
29 अगस्त 1947 को डॉ. भीमराव आंबेडकर को संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
1952 के आम चुनावों में डॉ. भीमराव आंबेडकर ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लोकसभा का चुनाव लड़ा। लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। फिर मार्च 1952 में ही उन्हें राज्य सभा के सदस्य के रूप में नियुक्त कर दिए गया।
डॉ. भीमराव आंबेडकर 9 भाषाओं हिन्दी, पाली, संस्कृत, मराठी, गुजराती, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन और पर्शियन के ज्ञाता थे।
Ambedkar Quotes in Hindi
डॉ अंबेडकर एक महान लेखक और वक्ता थे। उन्होने सामाजिक न्याय और समानता के लिए अपनी कलम और आवाज का इस्तेमाल किया। उनके भाषण और उनके उद्धरण ( Quotes ) पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों को प्रेरित करते रहते हैं।
इसलिए उनके विचारों को समझने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक उनके उद्धरणों (Quotes) को पढ़ना है। यहां कुछ प्रसिद्ध Ambedkar Quotes in Hindi के दिए गए हैं –
मुझे वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है.
मैं एक समुदाय की प्रगति को उस डिग्री से मापता हूं जो महिलाओं ने हासिल की है.
वे इतिहास नहीं बना सकते जो इतिहास को भूल जाते हैं.
शिक्षित बनो, संगठित रहो और उत्तेजित बनो.
‘शिक्षा शेरनी के दूध की तरह है जो पिएगा वही दहाड़ेगा।’
धर्म मनुष्य के लिए है न कि मनुष्य धर्म के लिए.
मनुष्य नश्वर है, उसी तरह विचार भी नश्वर हैं. एक विचार को प्रचार-प्रसार की जरूरत होती है, जैसे कि एक पौधे को पानी की, नहीं तो दोनों मुरझाकर मर जाते हैं.
एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है कि वह समाज का नौकर बनने को तैयार रहता है.
समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा.
बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए.
मानवता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा.
“जो अपने आप को नीचा दिखाते हैं, उन्हें कभी ऊँचा नहीं समझा जाता है (Those who show themselves to be low, are never thought of as high).”
“समाज में समानता नहीं है, तो समाज कोई समाज नहीं है।” (“If there is no equality in society, then society is not a society at all.”)
“जब तक व्यक्ति दूसरों पर निर्भर होता है, वह कभी भी स्वतंत्र नहीं हो सकता।” (“As long as a person is dependent on others, they cannot be free.”)
“जीवन का सार निराशावाद से नहीं, आत्मविश्वास से भरा होता है।” (“The essence of life is not filled with pessimism, but with self-confidence.”)
“सभी महापुरुष आम जनता से ही उत्पन्न हुए हैं।” (“All great men are born from the common people.”)
“भारतीय संविधान के सामने सब लोग समान हैं।” (“In front of the Indian Constitution, all people are equal.”)
“आजादी और समानता दोनों हमें चाहिए, न कि केवल आजादी।” (“We need both freedom and equality, not just freedom alone.”)
“जो संघर्ष करता है, वही जीतता है।” (“Those who struggle, are the ones who win.”)
“शिक्षा से अधिक उदार हों और उदार से अधिक शिक्षित।” (“Be more generous than educated, and more educated than generous.”)
BR Ambedkar Books : ज्ञान का खजाना
डॉ. अम्बेडकर न केवल एक महान वक्ता और विचारक थे, बल्कि एक बहुत ही अच्छे लेखक भी थे। डॉ. अम्बेडकर ने कई विषयों पर पुस्तकें लिखीं। उनकी पुस्तकें अर्थशास्त्र, कानून, राजनीति, दर्शन, धर्म और समाजशास्त्र जैसे विविध विषयों को कवर करती हैं। उनके विचारों और आदर्शों की गहरी समझ हासिल करने में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए उनकी पुस्तकें बहुत ही मूल्यवान हैं।
डॉ अम्बेडकर द्वारा लिखित लोकप्रिय पुस्तकों के बारे में यहां संक्षिप्त जानकारी दी गई हैं।
BR Ambedkar Books List
Sl.No. | Book Title | Publication Date | Category |
1 | Administration and Finance of the East India Company | 1923 | History/Economics |
2 | Annihilation of Caste | 1936 | Social Reform |
3 | Castes in India: Their Mechanism, Genesis and Development | 1916 | Social Science |
4 | Essays on Untouchables and Untouchability | 1935 | Social Reform |
5 | Federation versus Freedom | 1945 | Politics |
6 | Gandhi and Gandhism | 1946 | Politics |
7 | Pakistan or the Partition of India | 1940 | Politics |
8 | Philosophy of Hinduism | 1953 | Religion |
9 | Riddles in Hinduism | 1954 | Religion |
10 | States and Minorities: What Are Their Rights and How to Secure Them in the Constitution of Free India | 1947 | Politics |
11 | The Buddha and His Dhamma | 1957 | Religion |
12 | The Evolution of Provincial Finance in British India | 1925 | Economics |
13 | The Problem of the Rupee: Its Origin and Its Solution | 1923 | Economics |
14 | The Untouchables: Who Were They and Why They Became Untouchables | 1948 | Social Science |
15 | Thoughts on Linguistic States | 1955 | Politics |
16 | Waiting for a Visa | 1935 | Autobiography |
17 | What Congress and Gandhi Have Done to the Untouchables | 1945 | Social Reform |
18 | Who Were the Shudras? | 1946 | Social Science |
19 | Women and Counter-Revolution | 1948 | Women’s Rights |
20 | Thoughts on Pakistan | 1940 | Politics and History |
21 | Revolution and Counter-Revolution | 1951 | Political Science |
22 | Mr. Gandhi and the Emancipation of the Untouchables | 1943 | Political Criticism |
23 | Buddha or Karl Marx | 1956 | Buddhism and Marxism |
24 | The Scheduled Tribes and Their India | 1948 | Social Commentary |
इनमें से कुछ प्रमुख पुस्तकों के बारे में संक्षिप्त जानकारी यहाँ दी जा रही है –
Annihilation of Caste: यह डॉ अम्बेडकर के सबसे प्रसिद्ध पुस्तकों में से एक है, जिसमें वे जाति व्यवस्था की आलोचना करते हैं और इसके उन्मूलन की वकालत करते हैं। यह पुस्तक हिंदू सामाजिक व्यवस्था और इसकी भेदभावपूर्ण प्रथाओं पर कड़ा प्रहार करती है। इसका भारतीय समाज और राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा।
The Buddha and His Dhamma: इस पुस्तक में बौद्ध दर्शन और बुद्ध की शिक्षाओं की एक व्यापक व्याख्या की गयी है जो डॉ. अम्बेडकर के बौद्ध शास्त्रों के व्यापक शोध और अध्ययन पर आधारित है। इसमें बौद्ध धर्म को एक तर्कसंगत और वैज्ञानिक धर्म के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह पुस्तक सामाजिक और व्यक्तिगत मुक्ति के साधन के रूप में अपनाने की वकालत करती है।
The Untouchables: यह पुस्तक दलितों, जिन्हें पहले “अछूत” के रूप में जाना जाता था, की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थितियों और भारतीय समाज में समानता और न्याय के लिए उनके संघर्ष पर एक मौलिक कार्य है। इस पुस्तक में दलितों पर होने वाले अत्याचारों और भेदभाव का एक ज्वलंत विवरण प्रस्तुत किया गया है। साथ ही इसमें शिक्षा, सामाजिक और राजनीतिक एकजुटता और आर्थिक सशक्तिकरण के माध्यम से उनकी मुक्ति का आह्वान किया गया है।
Who Were the Shudras?: इस पुस्तक में प्राचीन भारत में शूद्रों की उत्पत्ति और स्थिति का ऐतिहासिक और समाजशास्त्रीय विश्लेषण किया गया है। यह पारंपरिक दृष्टिकोण को चुनौती देता है कि शूद्र एक अधीनस्थ और दास वर्ग थे।
Thoughts on Pakistan: यह पुस्तक भारत के विभाजन और अलग राष्ट्र के रूप में पाकिस्तान के निर्माण पर डॉ. अम्बेडकर के निबंधों और भाषणों का संग्रह है। इसमें विभाजन के राजनीतिक और सामाजिक प्रभावों का एक महत्वपूर्ण और सूक्ष्म विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।
States and Minorities: यह पुस्तक भारत में अल्पसंख्यकों के लिए संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा उपायों और उनके कार्यान्वयन और प्रभावशीलता का एक व्यापक अध्ययन है। यह धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए भारतीय संविधान के प्रावधानों की जांच करता है और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों और कल्याण पर उनके प्रभाव का मूल्यांकन करता है।
Philosophy of Hinduism: यह पुस्तक हिंदू धर्म के दार्शनिक और धार्मिक सिद्धांतों और सामाजिक और राजनीतिक जीवन के लिए उनके निहितार्थ की एक महत्वपूर्ण परीक्षा है। यह हिंदू धर्म के रूढ़िवादी और हठधर्मी विचारों पर सवाल उठाता है, और इसके मूल मूल्यों की तर्कसंगत और मानवतावादी व्याख्या की संभावनाओं की पड़ताल करता है।
Castes in India: Their Mechanism, Genesis and Development : यह पुस्तक भारत में जाति व्यवस्था, इसकी उत्पत्ति और समय के साथ यह कैसे विकसित हुई, इसका विश्लेषण है। यह 1916 में प्रकाशित हुआ था।
Pakistan or the Partition of India: यह पुस्तक उन राजनीतिक और सामाजिक कारकों पर चर्चा करती है जिनके कारण 1947 में भारत का विभाजन हुआ, जिसने पाकिस्तान को एक अलग राष्ट्र के रूप में बनाया।
Riddles in Hinduism: यह पुस्तक हिंदू धर्म और जाति व्यवस्था सहित इसकी विभिन्न प्रथाओं की आलोचना है। यह 1954 में प्रकाशित हुआ था।
The Essential Writings of B.R. Ambedkar: यह पुस्तक अम्बेडकर के कुछ सबसे महत्वपूर्ण लेखों का संकलन है, जिसमें सामाजिक सुधार, राजनीति और धर्म सहित कई विषयों को शामिल किया गया है।
Essays on Untouchables and Untouchability: यह पुस्तक निबंधों का एक संग्रह है जिसे अम्बेडकर ने अस्पृश्यता के विषय पर लिखा था। इस पुस्तक में अस्पृश्यता के इतिहास और प्रभावों के बारे में जानकारी दी गयी है। साथ ही इस पुस्तक में अस्पृश्यता के उन्मूलन के लिए तर्क भी दिये गए हैं।
Women and Counter-Revolution – यह पुस्तक भारत में महिलाओं की स्थिति और समान अधिकारों के लिए उनके संघर्ष पर केंद्रित है। पुस्तक का तर्क है कि महिलाएं पूरे भारतीय इतिहास में भेदभाव और उत्पीड़न के अधीन रही हैं, और यह स्वतंत्रता के बाद भी जारी रही है।
निष्कर्ष
एक समाज सुधारक, विचारक और लेखक के रूप में डॉ. अम्बेडकर की विरासत भारत और दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित करती है। सामाजिक न्याय, समानता और मानवीय गरिमा के उनके विचार और आदर्श पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हैं, और उनकी पुस्तकें किसी भी ऐसे व्यक्ति के लिए ज्ञान और ज्ञान का खजाना हैं जो अधिक न्यायपूर्ण और न्यायसंगत दुनिया के लिए चल रहे संघर्ष को समझना और योगदान करना चाहता है।
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