Benefits of Giloy in Hindi
गिलोय के लाभ
भूमिका:-
भारत में कोरोनोवायरस मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और यह थमने का नाम भी नहीं ले रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) सहित विश्व के अन्य मेडिकल रिसर्च संस्थाओं ने भी निकट भविष्य में कोरोनोवायरस के वैक्सीन के ईजाद की संभावना को नकार दिया है।
जाने-माने डॉक्टरों ने भी कहा है कि जब तक कोरोनोवायरस के वैक्सीन का ईजाद नहीं हो जाता है तब तक लोगों को ही सावधानी बरतनी पड़ेगी और अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता(Imunity) को मजबूत करना पड़ेगा।
रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लोग अब तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं। बहुत से ऐसे दैनिक रूप से प्रयोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थ हैं जिनमें रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के गुण मौजूद होते हैं। इनमें फल और सब्जियाँ प्रमुख हैं।
इन खाद्य पदार्थों के अलावा कुछ जड़ी बूटियां भी हैं जिनके सेवन से हमारे रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
बाबा रामदेव ने भी हाल ही में दावा किया है कि गिलोय और अश्वगंधा जैसी जड़ी-बूटियों के प्रयोग से कोरोनोवायरस को समाप्त किया जा सकता है। उन्होने इन जड़ी बूटियों का प्रयोग करके एक दवा का भी निर्माण कर लिया है। लेकिन इसे आयुष मंत्रालय द्वारा हरी झंडी मिलना बाकी है।
बाबा रामदेव का कहना है कि ये कोई दवा नहीं है बल्कि रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने में सहायक है। उनके अनुसार इसमें उपस्थित गिलोय और अश्वगंधा हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करते हैं। उन्होने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा है कि गिलोय कोरोनोवायरस द्वारा फैलाये जा रहे संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ता है और यह 100 प्रतिशत तक प्रभावी है।
IIT दिल्ली और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस इंडस्ट्रियल साइंस एंड टेक्नोलॉजी, जापान के शोधकर्ताओं ने मिलकर एक अध्ययन किया और यह पाया कि गिलोय और अश्वगंधा covid19 के खिलाफ लड़ने में फायदेमंद साबित हो सकते हैं। अब जबकि बाबा रामदेव की कही बात को इन संस्थाओं ने भी सही साबित कर दिया है, तो लोगों में गिलोय की मांग बढ़ गयी है अधिकतर लोग इसका सेवन करने लगे हैं।
लेकिन इसके प्रयोग का सही तरीका क्या है, किन लोगों को इसका प्रयोग करना चाहिए और किसे नहीं। इसके बारे में यहाँ विस्तारपूर्वक चर्चा की गयी है।
तो आइए सबसे पहले जानते हैं कि गिलोय क्या है और उसके बाद इसके गुण तथा सेवन के के बारे में जानेंगे।
गिलोय क्या है:-
गिलोय, जिसे हम बोलचाल की भाषा में गुडुची कहते हैं, जड़ी-बूटियों की श्रेणी में आने वाला पौधा है। यह लता के रूप में या तो जमीन पर फैलती है या दीवारों तथा पेड़ों पर बेल के रूप में फैलती है। इसका वैज्ञानिक नाम टीनोस्पोरा कोर्डीफोलिया (Tinospora cordifolia) है।
गिलोय की उत्पत्ति के बारे में कहा जाता है कि जब समुद्र मंथन चल रहा था तो एक अमृत कलश भी निकला था। उस कलश से अमृत की कुछ बूंदें जमीन पर गिर गईं और जहाँ-जहाँ बूंदें गिरीं वहाँ-वहाँ गिलोय का पौधा उग आया। इसलिए गिलोय को अमृता नाम से भी जानते हैं। इसका एक और नाम जीवन्तिका भी है।
गिलोय भारत में सर्वत्र उपलब्ध है और यह झड़ियों की तरह मैदानों में, सड़क के किनारे, बाग-बगीचों में, दीवारों के पास या पेड़ों के जड़ के पास कहीं भी उग जाती है। यह अपना विस्तार बहुत तेजी से करती है।
इसकी एक खास बात यह भी है कि इसकी बेलें जिस प्रकार के पेड़ पर चढ़ती हैं उसी पेड़ के गुणों को अवशोषित कर लेती हैं। जब यह नीम के पेड़ पर चढ़ती हैं तो उसके कड़वे गुण को अवशोषित कर लेती हैं। इस प्रकार के गिलोय को ”नीम गिलोय” कहते हैं और यह अपने कड़वे गुण के कारण गिलोय प्रजाति में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।
गिलोय के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह जिस पेड़ पर चढ़ती है उस पेड़ को मरने नहीं देती है। इस प्रकार यह ना केवल मनुष्यों के लिए बल्कि पेड़ों के लिए भी जीवनदायी होती है।
गिलोय के गुण:-
गिलोय के अनेकों गुण हैं और आचार्य चरक ने भी अपने ग्रंथ चरक संहिता में इसके गुणों का विशेष रूप से वर्णन किया है।
गिलोय में एंटीऑक्सिडेंट, anti-inflammatory( प्रज्वलनरोधी), antipyretic(ज्वरनाशक), anti arthritic(गठियारोधी), एंटी-एलर्जी, एंटी-डायबिटिक, वात-दोष नाशक, त्रिदोष नाशक, खून को साफ करने, सांस रोग दूर करने वाले गुण मौजूद होते हैं।
इसका प्रयोग शरीर शोधन के लिए भी किया जाता है। इसमें त्वचा संबंधी रोगों को दूर करने के गुण होते हैं।
इसका सबसे महत्वपूर्ण गुण होता है इम्यूनोडायलेटरी गुण जो प्राकृतिक रूप से रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ाने वाली होती है।
इसके अंदर एंटीऑक्सिडेंट के गुण मौजूद होते हैं जिससे यह शरीर में उत्पन्न होने वाले फ्री-रेडिकल्स को समाप्त कर देती है और अन्य कोशिकाओं को सुरक्षित रखती है। इससे हमारी त्वचा में चमक बनी रहती है।
गिलोय में पाये जाने वाले पोषक तत्व:-
गिलोय में कई प्रकार के पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जैसे आयरन, मैगनीज, कॉपर, फॉस्फोरस, कैल्शियम और जिंक। ये सभी पोषक तत्व हमारे शरीर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं और विभिन्न प्रकार के रोगों से हमारे शरीर की रक्षा करते हैं।
गिलोय के फायदे:-
गिलोय में मौजूद गुणों को देखते हुए हम कह सकते हैं कि इसके प्रयोग के अनगिनत फायदे हैं। हम यहाँ कुछ मुख्य रूप से होने वाले फायदों का जिक्र करने वाले हैं।
तो आइए देखते हैं कि गिलोय के प्रयोग करने के क्या-क्या फायदे हैं-
1. गिलोय के सेवन से प्राकृतिक रूप से रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) में वृद्धि होती है। इसलिए इसे प्राकृतिक प्रतिरक्षा बूस्टर भी कहते हैं।
जैसे कि हमें पता है कि हमारे शरीर में जो T-cells होती हैं वो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) के लिए जिम्मेदार होती हैं। इन T-cells का एक प्रकार Th cells होता है जिसे बढ़ाने का काम गिलोय करता है। ये Th cells अन्य प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को भी प्रेरित करती हैं। इसीलिए गिलोय को आयुर्वेद में प्रतिरक्षा निर्माण के लिए एक प्राथमिक जड़ी-बूटी माना जाता है ।
2. चूंकि गिलोय में ज्वरनाशक (Anti-Pyretic) गुण होते हैं इसलिए यह किसी भी प्रकार के बुखार के लिए रामबाण औषधि है। यदि बुखार लंबे समय तक चलता है तो उसके इलाज में भी गिलोय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह डेंगू तथा मलेरिया जैसे रोगों के उपचार में भी बहुत कारगर सिद्ध होता है। जिन लोगों को जीर्ण बुखार (Chronic Fever) की समस्या है उनके लिए भी यह कारगर है।
बुखार के समय हमारे शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है। विशेषकर डेंगू जैसी घातक बीमारीयों में तो ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या बहुत ही अधिक गिर जाती है। गिलोय ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या को गिरने से रोकता है तथा उनकी संख्या में वृद्धि भी करता है। इसलिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने डेंगू बुखार में गिलोय के प्रयोग को एक प्रभावी उपाय बताया है।
3. गिलोय डायबिटीज की समस्या को दूर करता है। गिलोय में बहुत अधिक मात्रा में हाइपोग्लाईसेमिक (hypoglycemic) एजेंट पाए जाते हैं, जो खून में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। इसलिए डॉक्टर डायबिटीज के मरीजों को गिलोय के प्रयोग की सलाह देते हैं।
चूँकि डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन के उत्पादन की समस्या होती है। ऐसे मरीजों के शरीर में गिलोय इंसुलिन के प्राकृतिक उत्पादन को बढ़ा देता है। इसलिए जिन मरीजों में टाइप-2डायबिटीज की समस्या होती है, उनके लिए गिलोय का सेवन काफी फायदेमंद होता है।
4. पीलिया रोग से पीड़ित व्यक्ति के लिए गिलोय का सेवन बेहद फायदेमंद होता है।
5. गिलोय का प्रयोग बवासीर रोग को ठीक करने वाली दवाइयों में भी किया जाता है। गिलोय किसी भी प्रकार के बवासीर को ठीक करने में कारगर सिद्ध होता है।
6. गिलोय पाचनतंत्र को मजबूत करता है और इसके नियमित सेवन से पेट से संबंधित समस्यों में लाभ मिलता है।
7. चूँकि गिलोय शरीर शोधक का कार्य करता है इसलिए इसका प्रयोग किडनी की सफाई के लिए भी किया जाता है जिससे यह अपना कार्य सुचारु रूप से कर सके।
8. गिलोय लीवर की समस्याओं को भी दूर करता है और किसी भी तरह के लिवर की अनियमितता(Liver Disorders) को ठीक करने में सहायक होता है।
9. गिलोय का प्रयोग आंख सम्बन्धी रोगों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है। इसके सेवन से मोतियाबिंद रोग ठीक होता है और आँखों की रोशनी भी बेहतर होती है।
10. कभी-कभी कान के अंदर मैल (Ear vax) इस तरह से जम जाता है कि ईयर बड्स से भी निकालना आसान नहीं होता है। ऐसी स्थिति में गिलोय के रस का ईयर ड्रॉप की तरह प्रयोग करके कान में जमे मैल को आसानी से निकाला जा सकता है।
11. गिलोय में एंटी एजिंग गुण भी मौजूद होते हैं। यानि कि इसके प्रयोग से चेहरे पर बढ़ती उम्र के लक्षण जल्दी दिखाई नहीं देते हैं। इसके सेवन से चेहरे पर बनने वाली झुर्रियों में कमी आती है और यह हमारी त्वचा को चमकदार और युवा बनाए रखने में मदद करता है।
12. गिलोय के सेवन करने से त्वचा संबंधी समस्याएं भी कम हो जाती हैं। जैसे कि चेहरे पर बनने वाले काले दाग-धब्बे, कील-मुहांसे, झाइयां तथा लकीरें समाप्त होने लगती हैं और इस तरह हमारी त्वचा का सौंदर्य बना रहता है।
13. हमारे देश में अधिकतर लोग रक्ताल्पता यानि कि अनीमिया की समस्या से जूझ रहे हैं, विशेषकर महिलाएं। अनीमिया की समस्या तब होती है जब शरीर में लाल रक्त कणिकाओं (RBC) की कमी हो जाती है। चूँकि गिलोय के अंदर कई तरह के पोषक तत्व पाये जाते हैं जो शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की वृद्धि में सहायक होते हैं। इसलिए गिलोय का सेवन अनीमिया के रोग को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
14. गिलोय के सेवन से वात रोग भी ठीक होता है।
15. गिलोय में सूजन कम करने का गुण होता है इसलिए इसका प्रयोग हाथीपांव (Elephantiasis) रोग को ठीक करने में किया जाता है।
16. गिलोय का प्रयोग सांस की गंभीर बीमारियों जैसे दमा को ठीक करने के लिए किया जाता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को आयुर्वेद विशेषज्ञ गिलोय की जड़ चबाने की सलाह देते हैं।
17. गिलोय में एंटी ऑर्थराइटिक गुण होने के कारण इसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के गठिया रोगों को ठीक करने में किया जाता है।
उपरोक्त रोगों के अलावा और भी कई रोगों को ठीक करने के लिए गिलोय का प्रयोग किया जाता है।
इसका प्रयोग तनाव को कम करने के लिए और दिमाग को शांत करने के लिए किया जाता है। शरीर में मौजूद टॉक्सिन को बाहर निकालने और पसीने को बदबू रहित करने के लिए भी गिलोय का प्रयोग किया जाता है।
इसके प्रयोग से उल्टी आना बंद हो जाती है। पेट में कीड़े होने की समस्या को भी यह दूर करता है।
बारिश के मौसम में होने वाली वायरल बीमारियों और मच्छर जनित बीमारियों जैसे मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया में गिलोय का सेवन बेहद फायदेमंद होता है।
चूँकि गिलोय की तासीर गर्म होती है इसीलिए ठंड से हुए सर्दी-जुकाम में इसका सेवन बहुत ही लाभदायक होता है।
नीचे दिये गए चित्र में गिलोय के प्रमुख लाभों को संक्षिप्त रूप में बताया गया है। इसे अपने परिचितों को शेयर करके उन्हें भी गिलोय के लाभ के बारे में बताएं।
गिलोय का सेवन:-
बाजार में गिलोय कई रूपों में उपलब्ध है, जैसे गिलोय जूस, टैबलेट और पाउडर।
समान्यतया गिलोय जूस के 15-20 ml को लेकर उसमें समान मात्रा में पानी मिलाकर दिन में 2 से 3 बार लेने की सलाह दी जाती है। इसी तरह 1-2 टैबलेट दिन में 2 से 3 बार लेने की सलाह दी जाती है। पाउडर को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर सेवन किया जा सकता है।
गिलोय की कितनी मात्रा का सेवन करना चाहिए, यह व्यक्ति की शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है। इसलिए गिलोय के सेवन से पहले स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।
कुछ मामलों में स्वास्थ्य विशेषज्ञ गिलोय के सेवन को पूरी तरह से मना करते हैं। जैसे कि कम उम्र के बच्चों को गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को भी गिलोय के सेवन से नुकसान हो सकता है। इसलिए उन्हें भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर की समस्या से पीड़ित व्यक्ति को स्वास्थ्य विशेषज्ञ का परामर्श लिए बिना गिलोय का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
वैसे तो गिलोय के अंदर अनगिनत गुण मौजूद हैं, फिर भी इसके सेवन के कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए एक बार और सलाह दी जा रही है कि बिना स्वास्थ्य विशेषज्ञ के इसका सेवन ना करें।
उपसंहार:-
गिलोय या अमृता वास्तव में अपने अंदर अमृत जैसे गुणों को समाहित किए हुए है। यह अपने देश में सर्वत्र उपलब्ध होने वाला पौधा है। लेकिन इसके प्रति लोगों के अंदर जागरूकता या इसके विषय में जानकारी नहीं होने के कारण इसे एक खर-पतवार की तरह देखा जाता है। अब जबकि वर्तमान समय में कोरोनोवायरस के कारण लोग अपने अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, तो अचानक गिलोय की महत्ता बढ़ गयी है।
गिलोय के अंदर ना केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का गुण मौजूद है बल्कि कई अन्य बीमारियों से भी लड़ने की क्षमता है। इसका प्रयोग किसी भी तरह के बुखार में समान रूप से प्रभावी है। यह डायबिटीज़, दमा, वात रोग, अनीमिया, लीवर की समस्या, किडनी की समस्या, आँखों की समस्या में भी प्रयोग किया जाता है।
इनके अलावा कई अन्य छोटी-छोटी बीमारियाँ हैं जिनमें गिलोय का प्रयोग बहुत ही फायदेमंद होता है।
लेकिन गिलोय के किसी भी तरह के प्रयोग से पहले हमें स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
आपलोगों को स्वास्थ्य से संबन्धित यह जानकारी कैसी लगी, कमेंट करके जरूर बताएं और कृपया शेयर करना ना भूलें।
🙏🙏धन्यवाद🙏🙏